जब भी हम बीमार होते हैं, तो बड़े-बुज़ुर्ग सबसे पहले कहते हैं, “मूंग की खिचड़ी खाओ।” क्या आपने कभी सोचा है कि आयुर्वेद में हरी मूंग दाल को इतना महत्व क्यों दिया गया है? कई दालों में से, इस दाल को सबसे हल्का, सात्विक और सुपाच्य माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, यह दाल न केवल शरीर को पोषण देती है, बल्कि रोगों से लड़ने की शक्ति भी देती है।
आयुर्वेद के अनुसार, मूंग दाल “सात्विक आहार” की श्रेणी में आती है। इसका मुख्य गुण यह है कि यह तीनों दोषों – वात, पित्त और कफ – को संतुलित करती है।
आयुर्वेदिक गुण:
• रस (स्वाद): मधुर (मीठा), कषाय (कसैला)
• गुण: लघु (हल्का), शीतल (ठंडा), रुचिकारक
• वीर्य (शक्ति): ठंडा
• दोषों पर प्रभाव: वात, पित्त और कफ तीनों को संतुलित करता है
पोषक तत्वों से भरपूर फाइबर की प्रचुर मात्रा
• आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, जिंक ,विटामिन A, C, E और B कॉम्प्लेक्स , एंटीऑक्सीडेंट और फोलिक एसिड की प्रचुर मात्रा
हरी मूंग दाल के 10 लाभ:
1. सुपाच्य, कमजोर पाचन के लिए आदर्श मूंग दाल पचने में हल्की होती है और अपच, गैस या एसिडिटी से पीड़ित रोगियों के लिए बेहद फायदेमंद है।
2. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और खनिज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाते हैं।
3. पित्त और कफ का संतुलन इसकी शीतलता पित्त को शांत करती है और कफ को भी नियंत्रित करती है।
4. वज़न घटाने में सहायक कैलोरी में कम, फाइबर और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण, यह शरीर को तृप्त रखता है और वज़न घटाने में मदद करता है।
5. मधुमेह में लाभकारी रक्त शर्करा को नियंत्रित करने में मदद करता है। मधुमेह के रोगियों को नियमित रूप से मूंग दाल का सेवन करना चाहिए।
6. गर्भवती महिलाओं के लिए सर्वोत्तम आयरन, फोलिक एसिड और प्रोटीन से भरपूर होने के कारण यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए उपयुक्त है।
7. हृदय के लिए लाभकारी इसमें पाए जाने वाले पोटेशियम और मैग्नीशियम हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित रखते हैं।
8. त्वचा और बालों के लिए भी अच्छा विटामिन ई और एंटी ऑक्सीडेंट त्वचा की चमक और बालों की मजबूती बढ़ाते हैं।
9. बच्चों और बुजुर्गों के लिए सर्वोत्तम मूंग दाल के शीतल, आसानी से पचने वाले और पौष्टिक गुण इसे सभी उम्र के लोगों के लिए आदर्श बनाते हैं।
10. डिटॉक्स का प्राकृतिक माध्यम यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और लिवर को भी स्वस्थ रखता है।
• सेवन विधि:
1. मूंग दाल खिचड़ी ,मूंग दाल ,चावल, घी, हल्दी ,अदरक ,पाचन और ऊर्जा वर्धक ,बुखार, दस्त, सर्जरी के बाद के लिए दैनिक आहार में सर्वोत्तम
2. अंकुरित मूंग नाश्ते में व् सलाद के रूप में अंकुरित मूंग का सेवन जीवन शक्ति (ओजस) बढ़ाता है हृदय और त्वचा के लिए लाभकारी
3. मूंग दाल का सूप जीरा, हींग, हल्दी और सेंधा नमक के साथ उबला हुआ मूंग दाल का सूप वात-कफ विकारों में लाभकारी है
4 . हलवा मुंग दाल को मीठे हलवे के रूप में भी खाया जाता है ।
5 . मुंग दाल को चिल्ला / पनीर , सब्जी के साथ मिलाकर बनाया जाता है ।
निष्कर्ष:
- ! किसे सावधान रहना चाहिए?
- वायु प्रधान व्यक्तियों को कभी-कभी गैस या पेट फूलने की समस्या हो सकती है – इसलिए हींग, अदरक, अजवाइन के साथ सेवन करें।
- अंकुरित मूंग को अधिक मात्रा में न खाएं – इसे पचाना मुश्किल हो सकता है
- आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से हरी मूंग दाल हर मौसम, हर उम्र और हर बीमारी के लिए एक औषधि है।
- अगर आप सात्विक और पौष्टिक जीवनशैली अपनाना चाहते हैं, तो इस चमत्कारी दाल को अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
- मूंग दाल कोलेस्ट्रॉल कम करती है।
- रक्त शर्करा और इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करती है।
- हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करती है।
- आंत के स्वास्थ्य और पाचन में सुधार करती है।