फिटकरी: बरसात में संक्रमित रोगों से फिटकरी से सुरक्षा कवच

बरसात का मौसम आते ही वातावरण में नमी और कीटाणुओं की मात्रा बढ़ जाती है। इससे त्वचा संक्रमण, जलजनित रोग, गले की समस्याएं, और घावों का देर से भरना जैसी परेशानियाँ आम हो जाती हैं। ऐसे समय में यदि कोई सस्ता, प्रभावी और बहुउपयोगी उपाय काम आ सकता है, तो वह है – फिटकरी (Alum) । आयुर्वेद में इसे “स्फटिक” कहा गया है और इसे रोगनाशक, रक्तशोधक और सूजनहर माना गया है।
फिटकरी एक खनिज पदार्थ है जो सफेद या गुलाबी रंग की ठोस क्रिस्टल की तरह दिखती है। रासायनिक रूप से इसे पोटैशियम एलुमिनियम सल्फेट ((KAI(SO4)2:12H2O)) कहा जाता है।
आयुर्वेद में इसे कषाय रसयुक्त, रूक्ष, लघु और शीतवीर्य माना गया है।
आयुर्वेदिक गुणधर्म:
रस (स्वाद): कषाय (कसैला)
गुण: लघु, रूक्ष
वीर्य (ऊर्जा) : शीत
विपाकः कटु
दोषों पर प्रभावः कफ और पित्त का शमन
वर्षा ऋतु में फिटकरी के लाभ:
1. पानी के रोगों की रोकथाम: वर्षा ऋतु में पीने के पानी में संक्रमण बढ़ जाता है। फिटकरी को पानी में डाल कर पानी को शुद्ध करना एक सरल और प्रभावी उपाय है।              2. घावों और कटने पर संक्रमण से सुरक्षा: बारिश में छोटे घाव भी जल्दी सड़ सकते हैं। फिटकरी से धोने पर घाव जल्दी भरते हैं और संक्रमण नहीं होता।
3. पसीने की बदबू से छुटकाराः बरसात में शरीर से बदबू आना आम समस्या है। नहाने के पानी में फिटकरी से दुर्गंध से राहत मिलती है।
4. गले की खराश और टॉन्सिल में उपयोगी: गरारे करने से गले की सूजन, खराश और मुँह के छालों में आराम मिलता है।
5. त्वचा इन्फेक्शन और खुजली में लाभकारी: नमी के कारण होने वाली खुजली, दाद और फंगल संक्रमण में फिटकरी जल से धोने पर राहत मिलती है।
फिटकरी का प्रयोग कैसे करें:
1. नहाने में फिटकरी का प्रयोग : फिटकरी का छोटा टुकड़ा नहाने के पानी में घुमाएं। इससे त्वचा संक्रमण से बचती है और शरीर में शुद्धता आती है।                                        2. कुल्ला या गरारा: आधा चम्मच फिटकरी एक गिलास गुनगुने पानी में मिलाकर कुल्ला करें। यह गले और मुँह की सफाई के लिए सर्वोत्तम है।
3. पानी के शुद्धिकरण के लिए: एक बाल्टी पानी में 2-3 बार फिटकरी का टुकड़ा घुमा दें और पानी को 30 मिनट तक स्थिर रखें।
4. फुंसी या दाद के लिए: फिटकरी को तवे पर भूनकर चूर्ण बना लें और प्रभावित स्थान पर हल्का लगाएं।
5. पसीने की बदबू के लिए: फिटकरी पाउडर को बगल या पैर में हल्के से रगड़ें।
6. खुजली: दिन में 2 बार फिटकरी के पानी से स्थान धोएं।
सावधानियाँ:
फिटकरी को कभी भी अधिक मात्रा में न निगलें ।
बच्चों और गर्भवती महिलाओं में बिना परामर्श के उपयोग न करें। आंखों में गलती से भी फिटकरी न जाए।
त्वचा पर अत्यधिक रगड़ने से जलन हो सकती है, इसलिए हल्के हाथों से लगाएं।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में उल्लेख:
भावप्रकाश निघण्टुः फिटकरी को कंठ्य, व्रणरोपण और शोधन औषधि बताया गया है।
चरक संहिता: इसमें फिटकरी को जलजन्य रोगों और संक्रमण के में उपयोगी बताया गया है।
निष्कर्षः
फिटकरी एक सस्ती, सरल और प्रभावकारी औषधि है, जो विशेषकर वर्षा ऋतु में हमारी रक्षा करती है। आयुर्वेद इसे शुद्धता, सुरक्षा और उपचार का प्रतीक मानता है। यदि आप इसका प्रयोग सही तरीके से और संयम से करें, तो यह कई आधुनिक रासायनिक उत्पादों की जगह ले सकती है।

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