आधुनिक जीवनशैली, गलत खानपान और अनियमित दिनचर्या ने पेट की समस्याओं को आम बना दिया है। गैस, अपच, एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं अब हर घर की परेशानी बन चुकी हैं। ऐसे में आयुर्वेद का एक दिव्य फार्मूला है – अविपत्तिकर चूर्ण। यह न सिर्फ पेट की बीमारियों से राहत देता है, बल्कि पूरे पाचन तंत्र को संतुलित करके शरीर की अग्नि (Digestive Fire) को भी सशक्त करता है।
‘अविपत्तिकर’ शब्द का अर्थ है
“जो पित्त को विपत्तिकर (हानिकारक) बनने से रोके”। यह एक त्रिदोष नाशक चूर्ण है लेकिन विशेषतः पित्त और अम्लपित्त को नियंत्रित करने में श्रेष्ठ माना जाता है। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और भावप्रकाश निघण्टु जैसे प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है।
मुख्य घटक : हर घटक विशेष उद्देश्य से शामिल किया गया है:
- हरड़ (हरीतकी) – कब्ज नाशक, शरीर की सफाई करती है
- बहेड़ा – पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
- आंवला – अम्लपित्त और जलन को शांत करता है
- सौंठ (शुण्ठी) – गैस और अपच के लिए
- पिपली अग्नि को तेज करता है।
- मरिच (काली मिर्च) – विषहर, शूल निवारक 7. निशोथ – सौम्य विरेचक
- विदांग – कृमिनाशक
कब्ज और मलावरोध में लाभकारी:
- यह चूर्ण मल को मुलायम बनाता है और नियमितता लाता है।
- पेट दर्द, गैस और अपच:
भोजन के बाद पेट फूलना, गैस बनना, डकारें आना- ये सभी लक्षण इस चूर्ण से समाप्त होते हैं। - पाचन तंत्र की संपूर्ण सफाई:
त्रिफला आधारित होने के कारण यह लीवर, आँतों और पेट को गहराई शुद्ध करता है।लंबे समय तक एंटासिड लेने वालों के लिए विकल्पः
जो लोग एलोपैथिक एंटासिड से परेशान हैं, उनके लिए यह बिना किसी साइड इफेक्ट के स्थायी समाधान है
सेवन विधि :
- मात्रा : 3 से 6 ग्राम (आधा से एक चम्मच)
- समय: भोजन के बाद गुनगुने पानी या शहद के साथ
- एसिडिटी के लिए: – 1 चम्मच अविपत्तिकर चूर्ण + 1/2 चम्मच आंवला चूर्ण + गुनगुना पानी
- कब्ज के लिए: – विशेष: सुबह खाली पेट या रात को 1 चम्मच चूर्ण गुनगुने दूध के साथ
- पाचन के लिए: – खाना खाने के 30 मिनट बाद 1/2 चम्मच चूर्ण + गर्म पानी
सावधानियाँ:
- शर्करा – अन्य औषधियों को संतुलित करती है
- औषधीय गुण:
दीपनीय (Digestive fire enhancing), पाचन सुधारक, अम्लपित्त शामक, रेचक (Mild laxative), अग्निवर्धक, पेट की सूजन एवं भारीपन दूर करने वाला, वात-पित्त-कफ संतुलक! - उपयोग और लाभ:
- एसिडिटी और अम्लपित्त में रामबाणः
जो लोग बार-बार सीने में जलन, खट्टी डकारें या मुंह का स्वाद बिगड़ने की शिकायत करते हैं, उनके लिए अविपत्तिकर चूर्ण अमृत समान है। - गर्भवती महिलाएं वैद्य की सलाह से लें ! अधिक मात्रा में सेवन करने से दस्त हो सकते हैं ! मधुमेह रोगी मात्रा का ध्यान रखें क्योंकि इसमें शर्करा होती है ! बच्चों में खुराक कम रखी जाए
निष्कर्षः
आयुर्वेद में पेट को “दूसरा मस्तिष्क” कहा गया है। अगर पाचन सही है, तो शरीर और मन दोनों स्वस्थ रहते हैं। अविपत्तिकर चूर्ण एक ऐसा संपूर्ण समाधान है जो न केवल पेट की समस्याएं दूर करता है बल्कि शरीर को अंदर से शुद्ध और संतुलित करता है। यह आज की व्यस्त जीवनशैली में हर घर की ज़रूरत है।
नोट – कोई भी औषधि लेने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह अवश्य ले !