पित्त की पथरी आज के समय में एक आम बीमारी बन गई है। बदलती जीवन शैली , बहुत ज्यादा मात्रा में तैलीय , चिकनाई युक्त भोजन , बढ़ता तनाव और अनियमित दिनचर्या इसका प्रमुख कारण है। पित्ताशय (Gallbladder) में जब पित्त का संतुलन बिगड़ता है और उसमें कोलेस्ट्रॉल या पित्त लवण का जमाव होने लगता है, तब पथरी बनती है। यह समस्या अधिकतर महिलाओं में देखने को मिलती है, पर पुरुष भी इससे अछूते नहीं हैं।
आयुर्वेदिक दृष्टि से पित्त की पथरी
- आयुर्वेद में इस रोग को “पित्ताश्मरी” कहा गया है। ‘अश्मरी’ शब्द का अर्थ है — पत्थर जैसी कठोरता। जब शरीर में पित्त दोष और कफ दोष असंतुलित होते हैं, तो पित्ताशय में ठोस कण जमकर पथरी का रूप ले लेते हैं। पित्त दोष बढ़ने से पित्त अधिक गाढ़ा हो जाता है।धीरे-धीरे यह जमाव पथरी का रूप ले लेता है।
आयुर्वेद का मानना है कि यह रोग केवल शरीर नहीं, बल्कि खानपान और दिनचर्या की गड़बड़ी से भी उत्पन्न होता है।
लक्षण (Symptoms)
- पेट के दाहिनी ओर तेज या मद्धम दर्द
- खाना खाने के बाद भारीपन
- उल्टी या मतली आना
- गैस और अपच
- कभी-कभी त्वचा और आंखों में पीलापन
आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खे (Best Home Remedies)
- कुलथी की दाल (Horse Gram)
- कुलथी की दाल को रातभर भिगोकर उसका पानी सुबह खाली पेट पिएँ।
- यह पथरी को धीरे-धीरे गलाने और बाहर निकालने में मदद करती है।
- गोखरू (Tribulus terrestris)
- गोक्षुर का काढ़ा पित्त की पथरी को घोलने और मूत्रमार्ग को साफ करने में कारगर है।
- नींबू और शहद
- यह पित्ताशय की सफाई करता है और पथरी बनने की संभावना को घटाता है।
- यह पित्ताशय की सफाई करता है और पथरी बनने की संभावना को घटाता है।
- हल्दी और काली मिर्च
- हल्दी का सेवन शरीर से सूजन घटता है और पित्त की रुकावट को दूर करता है।
- इसे गर्म दूध या सब्जियों में डालकर लें।
- नारियल पानी
- रोजाना नारियल पानी पीने से पित्ताशय ठंडा रहता है और पथरी गलने में सहायक होता है।
आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ (Effective Herbs)
- भृंगराज – पित्त को संतुलित करता है।
- पुनर्नवा – सूजन और पित्त विकारों को ठीक करता है।
- त्रिफला – पाचन सुधारता है और शरीर को शुद्ध करता है।
- भूना नीम के पत्ते – पथरी को धीरे-धीरे तोड़ने में सहायक है
जीवनशैली में परिवर्तन (Lifestyle Changes)
- तली-भुनी और अत्यधिक तेल युक्त चीज़ों से बचें।
- भोजन नियमित समय पर करें।
- रोजाना 30 मिनट हल्की कसरत या योग करें।
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएँ।
- तनाव कम करने के लिए प्राणायाम और ध्यान करें।
आयुर्वेदिक पंचकर्म
- पित्त की पथरी में वमन, विरेचन और बस्ति कर्म विशेष लाभकारी माने गए हैं। ये उपचार दोषों का शुद्धिकरण कर पित्ताशय को स्वस्थ बनाते हैं।
निष्कर्ष
- आधुनिक चिकित्सा में पित्त की पथरी का अंतिम इलाज अक्सर ऑपरेशन माना जाता है। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार यदि समय रहते परहेज़ और सही घरेलू नुस्खे अपनाए जाएँ तो पथरी बनने से रोकी जा सकती है और बनी हुई पथरी को धीरे-धीरे गलाकर बाहर निकाला जा सकता है।