आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लोग दांतों की देखभाल पर उतना ध्यान नहीं दे पाते, जिसके कारण दांतों में सड़न, पायरिया, मसूड़ों से खून आना और सांस की बदबू जैसी समस्याएँ आम हो गई हैं। मुँह की सेहत केवल...
Category: आयुर्वेदिक औषधि
हड़जोड़ अद्भुत जड़ी-बूटी है जो न केवल हड्डियों को मजबूत करती है बल्कि टूटी हड्डियों को जोड़ने में भी मदद करती है
आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में गिरना, फ्रैक्चर होना, हड्डियों का कमजोर होना और जोड़ों का दर्द आम समस्या बनती जा रही है। बाज़ार की दवाइयाँ जहाँ केवल दर्द दबाती हैं, वहीं आयुर्वेद में एक ऐसी अद्भुत जड़ी-बूटी का वर्णन...
कंधे के दर्द और जकड़न जिसे चिकित्सा भाषा में फ्रोजन शोल्डर कहा जाता है ,यह रोग मुख्यतः वात दोष की वृद्धि से होता
कंधे के दर्द और जकड़न जिसे चिकित्सा भाषा में फ्रोजन शोल्डर कहा जाता है आज कल सिर्फ बुजर्गो में ही नहीं ,बल्कि बल्कि युवा और माध्यम आयु वर्ग में भी तेजी से बढ़ रहा है। आधुनिक चिकत्सा में इसे Adhesive...
द्राक्षासवः आयुर्वेदिक टॉनिक – सेहत का मीठा राज़ , वात और पित्त को संतुलित करता है
द्राक्षासव आयुर्वेद का एक अत्यंत प्रसिद्ध और प्रभावशाली आसव आरिष्ट वर्ग का हर्बल टॉनिक है, जो विशेष रूप से द्राक्षा (अंगूर) से निर्मित होता है। यह एक मधुर और बलवर्धक औषधि है जो विशेष रूप से पाचन, भूख, थकावट, एनीमिया...
दलिया: आयर्वेद के अनुसार एक मध्य-गुणकारी आहार है , जो वात, पित्त और कफ तीनों दोषो को संतुलित करने में सहायता करता है।
आज की भाग दौड़ की जिंदगी में स्वास्थवर्ध्क खाने का चुनाव करना जितना मुश्किल हो गया है। उससे मुश्किल हो गया है उसको चुनना। ऐसे में दलिया एक ऐसा सुपर फ़ूड है जो न केवल स्वादिष्ट है बल्कि उतना पोषण...
त्रिमद चूर्ण : तीन जड़ी-बूटियों का संयोजन, स्वास्थ्य की गारंटी
त्रिमद चूर्ण आयुर्वेद का एक क्लासिकल फॉर्मूला है, जो नागरमोथा (Nagarmotha), चित्रक (Chitrak) और विदंग (Vidanga) - इन तीन शक्तिशाली जड़ी-बूटियों के समान अनुपात में मिलाकर तैयार किया जाता है। चाहे आपके पाचन से संबंधित समस्या हो, वात व कफ...
“मेथी—छोटा पैकेट, बड़ा धमाका!” शरीर के कफ, पित्त और वात—तीनों दोषों को संतुलित करने में समर्थ है।
आयुर्वेद में कहा गया है—"यथानाम तथा गुणाः" यानी जिस पदार्थ का नाम जैसा होता है, उसमें वैसे ही गुण होते हैं। ‘मेथी’—छोटा सा बीज, पर गुणों में विशाल। यह हर भारतीय रसोई में पाई जाती है, लेकिन बहुत कम लोग...
गोक्षुर मूत्र विकारों का शुद्ध प्राकृतिक इलाज !गोक्षुरं बलवर्धनं मूत्रकृच्छ्रहरं परम् ।।
गोक्षुर (Tribulus terrestris), एक छोटी काँटेदार बेल है जो भारत के मैदानी क्षेत्रों में विशेष रूप से पाई जाती है। आयुर्वेद में इसे “वृष्य”, “बल्य" और "मूत्रल” गुणों के कारण अत्यंत प्रभावशाली औषधि माना गया है। इसका उपयोग हजारों वर्षों...
तुलसी-आयुर्वेद की सर्वोत्तम ओषधि ही नहीं बल्कि हर घर आध्यतम की देवी माता! भी है ।
बारिश का मौसम जैसे ही आता है वातावरण में नमी बढ़ जाती है, जिससे संक्रमण रोग , वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, पेट से संबंधी रोग और स्किन इंफेक्शन जैसे अन्य समस्याएं तेज़ हो जाती हैं। ऐसे में यदि कोई एक जड़ी-बूटी...
गर्म दूध, रोग ठंडे! शरीर, मन और आत्मा तीनों को पोषण देता ये आयुर्वेदिक पेय ,
भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही दूध (Milk) को "संपूर्ण आहार" और "अमृततुल्य" माना गया है। आयुर्वेद दूध को एक ऐसा सात्त्विक पेय मानता है, जो शरीर, मन और आत्मा तीनों को पोषण देता है। यह केवल एक पोषण तत्व...



