आयुर्वेद में कई ऐसी अद्भुत औषधियां वर्णित हैं जो आम दिखने के बावजूद असाधारण गुण रखती हैं। उन्हीं में से एक है अरंड, जिसे संस्कृत में एरण्ड, हिंदी में अरंडी और अंग्रेज़ी में Castor कहा जाता है। इसका प्रयोग न केवल औषधि निर्माण में होता है, बल्कि घर-घर में पुराने समय से इसके बीज का तेल (अरंडी का तेल) अनेक रोगों के इलाज में इस्तेमाल होता आया है। यह पौधा भारत के लगभग सभी भागों में पाया जाता है, विशेषकर गर्म और शुष्क क्षेत्रों में।
अरंड का आयुर्वेदिक परिचय
- संस्कृत नाम: एरण्ड, वातरी
- वानस्पतिक नाम: Ricinus communis
- गुण: गुरु (भारी), स्निग्ध (तेलयुक्त)
- रसः कटु ( तीखा ), मधुर (मीठा )
- वीर्यः उष्ण (गर्म)
- प्रभावः वात कफ नाशक,
मल विसर्जन में सहायक आयुर्वेदिक ग्रंथों चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में अरंड का उल्लेख विशेष रूप से वात रोग (जोड़ों का दर्द, गठिया) और अमवात में किया गया है। भावप्रकाश निघंटु में मल- शोधन, वायुनाशन और शोथ-हर कहा गया है।
प्रमुख लाभ (Benefits)
- जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभकारी : अरंडी का तेल जोड़ों की मालिश में प्रयोग करने से सूजन और दर्द में राहत देता है।
- अरंडी का तेल एक प्राकृतिक रेचक है यह मल को नरम कर कब्ज को दिर करता है।
- रात को सोने से पहले 1-2 चम्मच अरंडी का तेल गुनगुने दूध के साथ लें। बच्चों में भी 2-4 बूंदें सुरक्षित मात्रा में दी जा सकती हैं (चिकित्सक की सलाह से )
गठिया या जोड़ों के दर्द में
- 2-3 चम्मच अरंडी का तेल हल्का गुनगुना करके दर्द वाले हिस्से पर मालिश करें।
- सोने से पहले यह प्रक्रिया करने से सुबह तक सूजन और दर्द में आराम मिलता है।
सर्दी-जुकाम में
- तेल को गुनगुना कर छाती और पीठ पर मलें।
- इससे बलगम ढीला होगा और सांस लेने में राहत मिलेगी।
बाल झड़ने में
- नारियल तेल और अरंडी तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर हफ्ते में 2-3 बार सिर की मालिश करें।
- अरंडी के तेल की मालिश बालों की जड़ों को पोषण देती है, जिससे बाल लंबे और घने होते हैं।
त्वचा की नमी के लिए
- 2-3 बूंदें अरंडी तेल की रोज़ रात को चेहरे पर हल्के हाथ से मलें। इससे त्वचा कोमल और चमकदार बनती है।
- अरंडी का तेल त्वचा को नमी देता है, झुर्रियों को कम करता है और छोटे घावों को भरने में मदद करता है।
सावधानियां
- गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं चिकित्सक की सलाह के बिना अरंडी का तेल न लें।
- सर्दी-जुकाम और बलगम में गर्म करके अधिक मात्रा में सेवन से दस्त और पेट में ऐंठन हो सकती है।
- उच्च रक्तचाप या गंभीर रोग वाले मरीज डॉक्टर से पूछकर ही इसका प्रयोग करें।
निष्कर्ष
- अरंड एक सस्ती, सहज उपलब्ध और बहुगुणी औषधि है। यदि इसका सही तरीके से और उचित मात्रा में प्रयोग किया जाए, तो यह कई पुरानी और तकलीफ़देह बीमारियों में राहत पहुंचा सकती है। आयुर्वेद के इस अनमोल उपहार को आज की लाइफस्टाइल में फिर से अपनाना हमारे स्वास्थ्य के लिए वरदान हो सकता है।