ब्रह्म मुहूर्त, सूर्य उदय से लगभग 1.5 घंटा पहले का समय होता है, जो अमूमन सुबह 3:30 से 5:30 के बीच पड़ता है। आयुर्वेद, योग और प्राचीन भारतीय ग्रंथों में इस समय को “दिव्य घड़ी” कहा गया है। इसे “ब्रह्मा का समय”, यानी ज्ञान, चेतना और ऊर्जा का काल भी माना गया है।
ब्रह्म मुहूर्त – जागने की वो घड़ी जब आत्मा, शरीर और प्रकृति एक लय में होते हैं! आयुर्वेद कहता है: “ब्राह्मे मुहूर्त उत्तिष्ठेत् स्वस्थो रक्षार्थमायुषः”
अर्थात: स्वस्थ व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठना चाहिए, जिससे उसकी आयु की रक्षा हो सके।
चरक संहिता में वर्णन है –
“रात्रेः शेषे जागरणं, वातपित्तहरं स्मृतम् ।”
(रात के अंतिम प्रहर में उठना वात और पित्त दोनों को नियंत्रित करता है।)
आयुर्वेद में ब्रह्म मुहूर्त का महत्व:
आयुर्वेद मानता है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठने से त्रिदोषों (वात, पित्त, कफ) का संतुलन बना रहता है और यह शरीर की प्राकृतिक चयापचय प्रणाली (metabolism) को दुरुस्त करता है।
1. इस समय वात दोष प्रभावी होता है, जो हल्कापन, गति और उत्साह को बढ़ावा देता है।
2.वात शरीर की सफाई, मन की चंचलता और सक्रियता को प्रेरित करता है – यही कारण है कि इस समय उठने वाले लोग अधिक ऊर्जावान, सकारात्मक और मानसिक रूप से संतुलित पाए जाते हैं।
3. रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धिः विज्ञान भी मानता है कि सुबह जल्दी उठने वालों में इम्युन सिस्टम बेहतर होता है । शरीर प्राकृतिक रूप से शुद्ध वायु और प्राणवायु (O2) प्राप्त करता है।
4. हार्मोनल बैलेंस: ब्रह्म मुहूर्त में मेलाटोनिन हार्मोन का स्तर घट रहा होता है और कॉर्टिसोल बढ़ रहा होता है – यही परिवर्तन जागृति के लिए सबसे उपयुक्त होता है।
5. तनाव, अवसाद और चिंता से छुटकारा: प्राकृतिक समय पर जागना शरीर की सर्केडियन रिद्म को सिंक्रनाइज़ करता है, जिससे मानसिक रोगों की संभावना कम होती है।
कैसे शुरू करें ब्रह्म मुहूर्त में उठना ?
/ शुरुआत करें धीरे-धीरे:
यदि आप सुबह 7 बजे उठते हैं तो पहले 15-20 मिनट पहले उठें और सप्ताह भर में समय को ब्रह्म मुहूर्त तक लाएं।
रात 10 बजे तक सोने की आदत डालें। / सोने से पहले तेल मालिश, हल्का भोजन करें। / जागने के तुरंत बाद:
बिस्तर पर बैठकर 5 मिनट मौन रहें।
तांबे के लोटे का पानी पिएं जो रातभर रखा हो।
शौच, स्नान आदि से निवृत्त होकर हल्की योग / प्राणायाम करें।
देर से उठने के दुष्परिणाम:
आलस्य, भारीपन, मलावरोध और अपाचन, मन में चिड़चिड़ापन, नकारात्मक विचार, त्वचा संबंधी समस्याएं, मोटापा और अनिद्रा
ब्रह्म मुहूर्त में उठने के लाभ
निष्कर्ष:
मानसिक शांति और ध्यान में वृद्धिः
ब्रह्म मुहूर्त का समय सत्वगुण से भरपूर होता है। इस समय किया गया ध्यान, जप और प्रार्थना गहरी मानसिक एकाग्रता लाती है। पाचन तंत्र होता है मजबूत:
इस समय उठने से शरीर का जठराग्नि संतुलित होता है, जिससे
पूरे दिन पाचन अच्छा रहता है और भोजन से अधिक पोषण मिलता है।
ब्रह्म मुहूर्त में जागना केवल एक आदत नहीं, जीवन की दिशा है। यह आयुर्वेद का ऐसा अद्भुत उपहार है जो न केवल तन, मन और आत्मा को सशक्त करता है बल्कि व्यक्ति को उसके प्राकृतिक स्वरूप के सबसे निकट ले जाता है।
जब आप ब्रह्म मुहूर्त में जागते हैं, तो आप सिर्फ उठते नहीं – आप जागृत होते हैं!