मखाना:आयुर्वेद में इसे “स्वास्थ्य रक्षक रत्न” भी कहा गया है , शुद्ध, हल्का और ऊर्जावर्धक सुपरफूड माना गया है ।

शादी के प्रसाद से लेकर व्रत-उपवास की रस्मों तक, और अब आधुनिक फिटनेस डाइट तक, मखाना ने अपनी यात्रा में हर जगह अपनी जगह बनाई है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह सिर्फ़ एक हल्का और कुरकुरा नाश्ता ही नहीं है, बल्कि आयुर्वेद में इसे “स्वास्थ्य रक्षक रत्न” भी कहा गया है?

मखाना को संस्कृत में “कृष्ण फल” और अंग्रेज़ी में “फॉक्स नट्स” या “लोटस सीड्स” कहा जाता है। यह कमल के बीजों से बनता है और बिहार, खासकर मिथिला क्षेत्र, इसका प्रमुख उत्पादक है।

आयुर्वेद के अनुसार, मखाना वात और पित्त दोषों को शांत करता है और शरीर को स्थिरता प्रदान करता है। चरक संहिता और भावप्रकाश निघंटु जैसे ग्रंथों में इसे बलवर्धक, शुक्रवर्धक और संजीवनी गुणों से युक्त माना गया है।

मखाने में पाए जाने वाले पोषक तत्व: प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और सबसे महत्वपूर्ण बात, इसमें वसा बहुत कम होती है।

मखाने के मुख्य लाभ:

1. मधुमेह में लाभकारी: मखाने का ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है। यह धीरे-धीरे शुगर रिलीज़ करता है, जिससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

2. हड्डियों को मज़बूत बनाता है: कैल्शियम से भरपूर मखाना महिलाओं और बुजुर्गों के लिए अमृत के समान है। ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में मदद करता है।

3. हृदय के लिए संजीवनी: कोलेस्ट्रॉल मुक्त होने के कारण, यह हृदय रोगियों के लिए एक बेहतरीन नाश्ता है। यह रक्तचाप को भी नियंत्रित रखता है।

4. तनाव और नींद की समस्याओं से राहत: मखाने में केम्पफेरोल नामक फ्लेवोनोइड होता है, जो तनाव को कम करता है और अच्छी नींद में मदद करता है।

5. प्रजनन क्षमता बढ़ाता है: आयुर्वेद में मखाने को शुक्रवर्धक माना जाता है। यह वीर्य की गुणवत्ता में सुधार करता है और पुरुषों में यौन दुर्बलता में उपयोगी है।

6. वजन घटाने में सहायक: कम कैलोरी, उच्च फाइबर – यह संयोजन मखाने को वजन घटाने का एक बेहतरीन उपाय बनाता है। त्वचा को निखारता है। भूख कम करता है और पेट भरा हुआ।

7. एंटी-एजिंग गुण: एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर मखाना त्वचा को चमकदार बनाता है और बढ़ती उम्र के प्रभावों से बचाता है। झुर्रियों को कम करता है और त्वचा को हाइड्रेटेड रखता है।

8. किडनी और लिवर के लिए फायदेमंद: मखाना शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और लिवर व किडनी को साफ करता है।

मखाना सेवन के आयुर्वेदिक तरीके: • घी में भुना हुआ मखाना: वात और कफ दोषों से राहत। • दूध में उबाला हुआ मखाना: कमजोरी और शुक्र धातु की कमी में फायदेमंद। • मखाना खीर: बच्चों और बुजुर्गों के लिए पौष्टिक और पचने में हल्का। • मखाना पाउडर: शिशुओं को दूध में मिलाकर दिया जा सकता है। आयुर्वेदिक दिनचर्या में नाश्ते या शाम के हल्के भोजन में मखाना का सेवन आदर्श माना जाता है। यह ओजस को बढ़ाता है। और शरीर को लंबे समय तक ऊर्जा देता है। ·
·
ध्यान देने योग्य बातें:

खाने से पहले हमेशा मखाने को अच्छी तरह चबाएँ।

दिन में 1 मुट्ठी (25-30 ग्राम) पर्याप्त।

या रक्तचाप के रोगियों को नमक/चीनी रहित विकल्प चुनना चाहिए।

निष्कर्ष:

मखाना कोई आम नाश्ता नहीं है, बल्कि हमारे आयुर्वेदिक ज्ञान और परंपरा का गौरव है। यह छोटा सा बीज शरीर, मन और आत्मा को पोषण प्रदान करता है। अगर आपने अभी तक मखाना को अपने आहार में शामिल नहीं किया है, तो अब इसे अपनी थाली में शामिल करने का समय आ गया है।

Related posts

Leave a Comment