लिवर: शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग है जो की शरीर में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है

क्या आप जानते है किआपका लिवर केवल भोजन पचने के काम ही नहीं करता है , बल्कि पुरे शरीर की ऊर्जा , रजत , शुद्धि  और रक्त प्रतिरोध क्षमता को निरयंत्रित करने में भी सबसे महत्पूर्ण भूमिका निभाता है  ? आयुर्वेद इसे शरीर का “अग्नि–स्थान” मानता है, जहाँ से जीवन शक्ति का संचार होता है। आधुनिक विज्ञान जहाँ लिवर को Detox Factory कहता है, वहीं आयुर्वेद में यह पित्त दोष और रक्तधातु का मूल स्थान माना गया है।

यकृत (Liver) क्या है? यकृत शरीर का सबसे बड़ा ग्रंथियुक्त अंग है, जो दाहिनी पसली के नीचे स्थित होता है। आयुर्वेद में इसे “Yakrit” कहा गया है। इसका काम केवल पित्त रस का निर्माण ही नहीं, बल्कि —

भोजन का रस से रक्त में परिवर्तन,

  • शरीर की विषाक्तता (Toxins) को दूर करना,
  • ऊर्जा का संचार करना,
  • प्रतिरक्षा शक्ति को मजबूत करना —
    भी है।

आयुर्वेद में यकृत का महत्व

  • आयुर्वेद बताता है कि यकृत = रक्त + पित्त का केंद्र है।
  • यदि यकृत स्वस्थ है, तो पाचन शक्तिशाली और रक्त शुद्ध होता है।
  • यदि यह अस्वस्थ हो जाए तो शरीर में अम्लपित्त, पीलिया, त्वचा रोग, थकान और अपच जैसी समस्याएँ पैदा हो जाती हैं।
  • चरक संहिता में यकृत विकारों को पित्तज विकार कहा गया है और इसके उपचार के लिए शीतल, कड़वे और रक्तशोधक औषधियों का उल्लेख मिलता है।

यकृत रोगों के मुख्य कारण (आयुर्वेदिक दृष्टि से)

  • अत्यधिक मद्यपान और धूम्रपान
  • बहुत अधिक तैलीय और मसालेदार भोजन
  • अनियमित दिनचर्या और नींद की कमी
  • मानसिक तनाव और क्रोध – पित्त दोष को बढ़ाता है।
  • रासायनिक दवाओं और जंक फूड का अधिक सेवन

यकृत को स्वस्थ रखने के आयुर्वेदिक उपाय

  • आहार में सुधार करें – हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ, फल, अंकुरित अनाज, नींबू और दही का सेवन करें।
  • त्रिफला चूर्ण – यह रक्त को शुद्ध करता है और यकृत की कार्यक्षमता को बढ़ाता है।
  •  भृंगराज और भूम्यामलकी – आयुर्वेद में इन्हें यकृत रोगों की रामबाण औषधि माना गया है।
  • हल्दी – हर रोज़ हल्दी दूध या भोजन में लेने से यकृत की सफाई होती है।
  • नीम और गिलोय – ये शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालकर लिवर को मजबूत बनाते हैं।
  •  एलोवेरा जूस – सुबह खाली पेट लेने से पित्त संतुलित रहता है और यकृत स्वस्थ रहता है।
  • व्यायाम और प्राणायाम – विशेषकर अनुलोम–विलोम और कपालभाति लिवर को सक्रिय बनाए रखते हैं।

 घरेलू नुस्खे (Home Remedies for Healthy Liver)

  • नींबू पानी – सुबह गुनगुने पानी में नींबू का रस लिवर की डिटॉक्स प्रक्रिया को बढ़ाता है।
  • सौंठ और शहद – लिवर को ऊर्जा देता है और पाचन सुधारता है।
  • पपीता और तरबूज – प्राकृतिक रूप से लिवर को शुद्ध करने वाले फल हैं।
  • धनिया पानी – रात को धनिया भिगोकर सुबह उसका पानी पीने से लिवर साफ़ होता है।

आयुर्वेदिक संदर्भ

  • चरक संहिता और सुश्रुत संहिता दोनों में यकृत का उल्लेख रक्त और पित्त के मूल स्थान के रूप में मिलता है। वहाँ यह कहा गया है कि —
    “शुद्ध रक्त और संतुलित पित्त ही स्वस्थ यकृत का आधार है।”
    इसलिए पित्त को नियंत्रित रखना ही लिवर को स्वस्थ रखने का सर्वोत्तम मार्ग है।

निष्कर्ष

यकृत (Liver) केवल भोजन पचाने वाला अंग नहीं, बल्कि जीवन ऊर्जा का स्त्रोत है। अगर हम आयुर्वेदिक सिद्धांतों पर चलकर सात्त्विक आहार, नियमित दिनचर्या और औषधीय नुस्खों को अपनाएँ तो यकृत को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। याद रखें —
स्वस्थ यकृत = स्वस्थ शरीर = दीर्घायु।

 

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