जब भी किसी बहुगुणी आयुर्वेदिक औषधि की बात होती है, तो कलौंजी का नाम शीर्ष पर आता है। यह काले रंग के छोटे-छोटे बीज न केवल रसोई की शोभा बढ़ाते हैं, बल्कि शरीर को स्वस्थ रखने में भी जबरदस्त भूमिका निभाते हैं। आज हम जानेंगे कलौंजी क्या है, इसका आयुर्वेदिक महत्व, और घरेलू नुस्खों में इसका बेहतरीन उपयोग कैसे करें।
कलौंजी को संस्कृत में “उपकुंचिका” कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम Nigella sativa है। यह एक वार्षिक पौधा है, जिसके बीजों को हम “कलौंजी” के नाम से जानते हैं। इसे अंग्रेज़ी में Black Seed या Black Cumin कहा जाता है। यह दिखने में छोटे, त्रिकोणीय और काले रंग के होते हैं। स्वाद में थोड़े कड़वे और तीखे होते हैं।
इसकी सुगंध तेज और कुछ-कुछ अजवाइन जैसी होती है।
आयुर्वेदिक दृष्टि से कलौंजी का महत्व कलौंजी को आयुर्वेद में एक त्रिदोष नाशक औषधि माना गया है। इसका प्रयोग प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों- आयुर्वेद, यूनानी और सिद्ध चिकित्सा में हजारों वर्षों से होता आ रहा है। कलौंजी त्वचा, रक्त, अग्नि व मन का शोधन कर शरीर में ओज का संचार करती है।
गुण धर्म:
रस (स्वाद) कटु (तीखा), तिक्त (कड़वा)
गुण – लघु (हल्का), रूक्ष (शुष्क)
वीर्य – उष्ण (गर्म)
विपाक – कटु
कलौंजी के चमत्कारी घरेलू उपयोग
1. स्मृति शक्ति बढ़ाने के लिए कलौंजी के तेल को शहद के साथ मिलाकर लेने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है .
2. शुगर कंट्रोल में सहायक कलौंजी का नियमित सेवन ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करता है और टाइप 2 डायबिटीज़ में लाभकारी होता है।
सेवन: 1/2 चम्मच कलौंजी पाउडर, गुनगुने पानी के साथ सुबह और शाम लें।
3. हृदय की सुरक्षा के लिए कलौंजी हृदय की धमनियों को साफ करती है, कोलेस्ट्रॉल को घटाती है और ब्लड प्रेशर संतुलित करती है।
सेवन विधि: एक चम्मच कलौंजी तेल गर्म पानी के साथ रोज सुबह लें।
4. पाचन शक्ति और गैस की समस्या में कलौंजी अजवाइन और सौंफ के साथ लेने पर गैस, अपच और पेट फूलना जैसे लक्षणों में राहत मिलती है। भूनकर
सेवन विधि: बराबर मात्रा में अजवाइन + सौंफ + कलौंजी, पीस लें। 1/2 चम्मच खाना खाने के बाद लें।
5. बाल झड़ना और डैंड्रफ रोकने के लिए कलौंजी तेल को नारियल तेल में मिलाकर लगाने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और डैंड्रफ की समस्या घटती है।
उपयोग: सप्ताह में दो बार स्कैल्प पर अच्छी तरह मालिश करें, 1 घंटे बाद धो लें।
6. त्वचा रोगों में लाभकारी कलौंजी का तेल फंगल इंफेक्शन, मुंहासे, एलर्जी और खुजली जैसी समस्याओं में बेहद फायदेमंद होता है।
उपयोग: प्रभावित स्थान पर दिन में 2 बार कलौंजी तेल लगाएं।
7. इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कलौंजी में मौजूद थाइमोक्विनोन (Thymoquinone) शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करता है।
सेवन विधि: 1 चम्मच कलौंजी तेल + 1 चम्मच आंवला रस प्रतिदिन सुबह खाली पेट लें।
कलौंजी में पाए जाने वाले पोषक तत्व
प्रोटीन, फाइबर, ओमेगा-3 फैटी एसिड, आयरन, कैल्शियम, जिंक विटामिन B1, B2, B3
यह सारी चीजें शरीर को मजबूती देती हैं और एंटीऑक्सीडेंट की तरह कार्य करती हैं।
और मानसिक क्षमता में सुधार होता है
निष्कर्ष
कलौंजी केवल एक मसाला नहीं, बल्कि एक पूर्ण औषधि है।
यदि आप अपने भोजन में प्रतिदिन थोड़ी मात्रा में कलौंजी शामिल करते हैं, तो आप कई गंभीर बीमारियों से बचे रह सकते हैं। आयुर्वेद भी इस बात को मानता है कि कलौंजी एक ऐसी औषधि है जो शरीर के त्रिदोषों को संतुलित करती है, पाचन को दुरुस्त करती है और रोगों से लड़ने की शक्ति देती है।