गोक्षुर (Tribulus terrestris), एक छोटी काँटेदार बेल है जो भारत के मैदानी क्षेत्रों में विशेष रूप से पाई जाती है। आयुर्वेद में इसे “वृष्य”, “बल्य” और “मूत्रल” गुणों के कारण अत्यंत प्रभावशाली औषधि माना गया है। इसका उपयोग हजारों वर्षों से मूत्र विकार, गुर्दे की समस्या, पुरुष प्रजनन क्षमता, वात विकार और शारीरिक कमजोरी में किया जा रहा है।
संस्कृत में इसे गोक्षुर, छोटा गोखरू या श्वदंष्ट्रा कहा गया है। यह दशमूल का भी एक महत्वपूर्ण घटक है।
-भावप्रकाश निघण्टु !गोक्षुरं बलवर्धनं मूत्रकृच्छ्रहरं परम् ।।
अर्थ: गोक्षुर बल देने वाला, मूत्रकृच्छ्र (पेशाब की रुकावट) में अत्यंत लाभकारी है।
आयुर्वेद में गोक्षुर को निम्न गुणों के लिए जाना जाता है:
वृष्य (Virya vardhak) यौन शक्ति और वीर्य वृद्धि में सहायक
बल्य (Balya) – शरीर को बल देने वाला
मूत्रल (Diuretic) – मूत्र साफ और नियमित करने वाला • वातहर (Vata pacifier) – वात विकारों को संतुलित करता है
शोथहर (Anti-inflammatory) – सूजन में उपयोगी रक्तशोधक (Blood purifier) खून को शुद्ध करता है
‘गोक्षुर के मुख्य रसायन:
सैपोनिन्स (Saponins)
प्रोटोडायोसिन – जो टेस्टोस्टेरोन लेवल को संतुलित करने में सहायक है
घरेलू नुस्खे:
1. गुर्दे और मूत्र विकार के लिए
सामग्री: 1 चम्मच गोक्षुर चूर्ण + 1 गिलास पानी विधि: 10 मिनट तक उबालें, छानकर खाली पेट पिएँ । लाभ: मूत्राशय की सफाई, पेशाब में जलन में राहत ।
2. शारीरिक कमजोरी और थकान के लिए सामग्री: 1/2 चम्मच गोक्षुर चूर्ण + 1 गिलास गर्म दूध विधिः रात को सोने से पहले लें।
लाभ: मांसपेशियों को बल देता है, थकान दूर करता है।
3. पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य के लिए सामग्री: गोक्षुर पाक के
खुराक: 1 से 2 चम्मच सुबह-शाम दूध के साथ लाभ: वीर्य वृद्धि, कमजोरी में लाभकारी । 4. संधिवात या घुटनों के दर्द में सामग्री: गोक्षुर चूर्ण + दशमूल क्वाथ
विधि: 2 चम्मच क्वाथ + 1/4 चम्मच गोक्षुर चूर्ण, • यदि पाचन कमजोर भोजन के बाद
लाभ: सूजन और दर्द में राहत ।
• 5. त्वचा विकारों और रक्तशुद्धि में सामग्री: गोक्षुर + नीम + मंजीष्ठा चूर्ण
हो, तो धीरे-धीरे मात्रा बढ़ाएँ
विधि: 1/2-1/2 चम्मच मिलाकर गर्म पानी के साथ सुबह खाली पेट लाभ: रक्त शुद्ध होता है, मुंहासे, फोड़े-फुंसी कम होते हैं।
-मानसून में गोक्षुर का विशेष उपयोग
• स्टेरॉयड सैपोनिन्स हॉर्मोन बैलेंस में सहायक
गोक्षुर के आयुर्वेदिक उपयोग:
मूत्रकृच्छ्र (पेशाब में जलन ) – गोक्षुरादि क्वाथ या गोक्षुर काढ़ा वृक्क दोष (किडनी कमजोरी) – गोक्षुरादि गुग्गुलु या गोक्षुर चूर्ण पुरुष यौन दुर्बलता- गोक्षुर पाक / गोक्षुरादी चूर्ण प्रोस्टेट ग्रंथि वृद्धि – गोक्षुर + पुनर्नवा मिलाकर गठिया / वात रोग – दशमूल क्वाथ में गोक्षुर का मिश्रण शरीर की कमजोरी दूध के साथ गोक्षुर चूर्ण यूरिक एसिड बढ़ना- गोक्षुरादि गुग्गुलु का सेवन
वात और कफ दोष बढ़ते हैं, जिससे मूत्र रुकावट, सूजन, जोड़ों का दर्द, संक्रमण जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं। गोक्षुर इन सभी में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता है:
दिन तक गोक्षुरादि क्वाथ का सुबह-शाम सेवन करें
गोक्षुर चूर्ण + पुनर्नवा चूर्ण मिलाकर 1 चम्मच गर्म पानी के साथ लें सावधानियाँ गर्भवती महिलाएँ। और छोटे बच्चे डॉक्टर की सलाह से ही सेवन करें अत्यधिक मात्रा में सेवन से डिहाइड्रेशन हो सकता है.
निष्कर्ष
गोक्षुर एक ऐसी औषधि है जो केवल मूत्र या यौन विकार तक सीमित नहीं है। यह एक पूर्ण आयुर्वेदिक टॉनिक है जो शरीर के कई अंगों को पोषण और ऊर्जा प्रदान करता है। आधुनिक विज्ञान भी अब इसके मूत्रवर्धक, कामोत्तेजक और सूजनरोधी गुणों की पुष्टि कर रहा है।