कंधे के दर्द और जकड़न जिसे चिकित्सा भाषा में फ्रोजन शोल्डर कहा जाता है आज कल सिर्फ बुजर्गो में ही नहीं ,बल्कि बल्कि युवा और माध्यम आयु वर्ग में भी तेजी से बढ़ रहा है। आधुनिक चिकत्सा में इसे Adhesive Capsulitis कहा जाता है जबकि आयुर्वेद में इसे अवबाहु शूल या अवबाहु संकोच के लक्षणों से जोड़ा जाता है। यह समस्या कंधे की गति को सीमित कर देती है, जिससे हाथ ऊपर उठाना, पीछे ले जाना या कपड़े पहनना तक मुश्किल हो जाता है।
आयुर्वेदिक दृष्टि से कारण
आयुर्वेद के अनुसार यह रोग मुख्यतः वात दोष की वृद्धि से होता है। जब शरीर में वात का असंतुलन होता है, तो जोड़ों, मांसपेशियों और स्नायु (ligaments) में सूखापन, जकड़न और दर्द बढ़ जाता है।
इसके कुछ प्रमुख कारण हैं
आयुर्वेद के अनुसार यह रोग मुख्यतः वात दोष की वृद्धि से होता है। जब शरीर में वात का असंतुलन होता है, तो जोड़ों, मांसपेशियों और स्नायु (ligaments) में सूखापन, जकड़न और दर्द बढ़ जाता है।
इसके कुछ प्रमुख कारण हैं
- अत्यधिक वातवर्धक आहार – सूखा, तला-भुना, अधिक ठंडा या बासी भोजन।
- अत्यधिक परिश्रम या अचानक भारी वजन उठाना।
- लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठना – कंप्यूटर/लैपटॉप पर काम करने वालों में सामान्य।
- पुरानी चोट या सर्जरी के बाद निष्क्रियता।
- मधुमेह (Diabetes) – फ्रोजन शोल्डर का एक बड़ा कारण।
- थंडी हवा या पानी के संपर्क में आना – वात को बढ़ाता है। लक्षण (Symptoms)
कंधे में धीरे-धीरे बढ़ता हुआ दर्द। - हाथ उठाने और घुमाने में कठिनाई।
- दर्द के साथ मांसपेशियों में जकड़न।
- नींद में परेशानी – रात में दर्द बढ़ जाना। कपड़े पहनने, बाल बनाने या पीठ खुजलाने में असमर्थता। आयुर्वेदिक उपचार पद्धति : आयुर्वेद में इसका उपचार मुख्यतः वातशामक और स्नायु पोषक पद्धति से किया जाता है। अभ्यंग (तेल मालिश) महानारायण तेल, दशमूल तेल या बला अश्वगंधा तेल से हल्की गुनगुनी मालिश। सुबह-शाम 10-15 मिनट हल्के हाथ से मालिश करने से रक्त संचार बढ़ता है और स्नायु शिथिल होती हैं।
स्वेदन (स्टीम थेरेपी) :
नाड़ी स्वेदन या पट्टी स्वेदन से कंधे पर गर्म भाप देना। यह जकड़न खोलता है और दर्द कम करता है।
औषध सेवन
अश्वगंधा चूर्ण – 3-5 ग्राम, दूध के साथ, सुबह-शाम। रास्नादि क्वाथ – वातशामक और सूजननाशक। योगराज गुग्गुल – जोड़ों के दर्द और सूजन में लाभकारी। पंचकर्म पिचु – गुनगुने औषधीय तेल का कंधे पर स्थापन। बस्ती (कटी बस्ती या अंश बस्ती) – स्नायु व जोड़ों की मजबूती के लिए। घरेलू उपाय
गर्म सेंक – रुई के कपड़े में नमक भरकर गरम करके कंधे पर 10 मिनट सेंक दें।
मेथी और हल्दी का दूध – मेथी दाना (1 चम्मच) और हल्दी (½ चम्मच) दूध में उबालकर पीएं। यह सूजन कम करता है।
अदरक का सेवन – अदरक चाय या भोजन में अदरक से रक्त संचार बेहतर होता है।
गिलोय का रस – 15-20 ml सुबह खाली पेट, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सूजन घटाने के लिए।
हल्के व्यायाम – पेंडुलम एक्सरसाइज, हल्के स्ट्रेचिंग।
गरम पानी से स्नान – स्नायु और मांसपेशियों की जकड़न को कम करता है।
आहार-संयम
क्या खाएं – गर्म, ताजे, घी/तेल युक्त भोजन, मूंग की दाल, सूप, हरी पत्तेदार सब्जियां।
क्या न खाएं – ठंडी ड्रिंक्स, बासी खाना, मैदा, अधिक मिर्च-मसाले, और ज्यादा कॉफी-चाय।
योग और प्राणायाम
गोमुखासन – कंधों की जकड़न में लाभकारी।
गरुड़ासन – स्नायु को लचीला बनाता है।
भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम – वात संतुलन के लिए।
सावधानियां
दर्द के समय भारी वजन न उठाएं।
अचानक झटका देने वाली गतिविधियों से बचें।
लंबे समय तक ठंड में बिना ऊनी कपड़े के न रहें।
आयुर्वेद कहता है –
“वात संतुलन ही जोड़ और स्नायु की सेहत का मूल है।”
यदि समय रहते जीवनशैली सुधारी जाए और आयुर्वेदिक चिकित्सा अपनाई जाए तो फ्रोजन शोल्डर पूर्णतः ठीक हो सकता है।
निष्कर्ष
फ्रोजन शोल्डर कोई अचानक आने वाला रोग नहीं है, बल्कि शरीर में लंबे समय से हो रहे वात असंतुलन का संकेत है। आयुर्वेद न केवल इसका प्राकृतिक इलाज करता है, बल्कि भविष्य में दोबारा होने से भी रोकता है। बस, सही आहार, नियमित व्यायाम, और गर्माहट बनाए रखना आपकी सबसे बड़ी ढाल है।
गर्म सेंक – रुई के कपड़े में नमक भरकर गरम करके कंधे पर 10 मिनट सेंक दें।
मेथी और हल्दी का दूध – मेथी दाना (1 चम्मच) और हल्दी (½ चम्मच) दूध में उबालकर पीएं। यह सूजन कम करता है।
अदरक का सेवन – अदरक चाय या भोजन में अदरक से रक्त संचार बेहतर होता है।
गिलोय का रस – 15-20 ml सुबह खाली पेट, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और सूजन घटाने के लिए।
हल्के व्यायाम – पेंडुलम एक्सरसाइज, हल्के स्ट्रेचिंग।
गरम पानी से स्नान – स्नायु और मांसपेशियों की जकड़न को कम करता है।
आहार-संयम
क्या खाएं – गर्म, ताजे, घी/तेल युक्त भोजन, मूंग की दाल, सूप, हरी पत्तेदार सब्जियां।
क्या न खाएं – ठंडी ड्रिंक्स, बासी खाना, मैदा, अधिक मिर्च-मसाले, और ज्यादा कॉफी-चाय।
योग और प्राणायाम
गोमुखासन – कंधों की जकड़न में लाभकारी।
गरुड़ासन – स्नायु को लचीला बनाता है।
भ्रामरी और अनुलोम-विलोम प्राणायाम – वात संतुलन के लिए।
सावधानियां
दर्द के समय भारी वजन न उठाएं।
अचानक झटका देने वाली गतिविधियों से बचें।
लंबे समय तक ठंड में बिना ऊनी कपड़े के न रहें।
आयुर्वेद कहता है –
“वात संतुलन ही जोड़ और स्नायु की सेहत का मूल है।”
यदि समय रहते जीवनशैली सुधारी जाए और आयुर्वेदिक चिकित्सा अपनाई जाए तो फ्रोजन शोल्डर पूर्णतः ठीक हो सकता है।
निष्कर्ष
फ्रोजन शोल्डर कोई अचानक आने वाला रोग नहीं है, बल्कि शरीर में लंबे समय से हो रहे वात असंतुलन का संकेत है। आयुर्वेद न केवल इसका प्राकृतिक इलाज करता है, बल्कि भविष्य में दोबारा होने से भी रोकता है। बस, सही आहार, नियमित व्यायाम, और गर्माहट बनाए रखना आपकी सबसे बड़ी ढाल है।